‘ज्योतिषं वेदानां चक्षु’, ज्योतिष वेदों का नेत्र है और नेत्र मानव शरीर का एक ऐसा अंग है, जिसके बिना मनुष्य का जीवन ही व्यर्थ हो जाता है। फलतः ज्योतिष और नेत्र दोनों का अन्योन्याश्रित संबंध है। जिस प्रकार जन्मांग देखकर प्रत्येक अंग की गणना की जा सकती है, उसी प्रकार नेत्र अथवा शरीर के किसी अंग को देखकर व्यक्तित्व में अंतर्निहित भविष्य को भी जाना जा सकता है। नेत्र हृदय का प्रवेश द्वार है, इनसे प्रेम भाव, चरित्र, कला, कुशलता, मनोभाव, आतंरिक शक्तियों का बोध होता है। ज्योतिष न जानने वाला भी व्यक्ति नेत्रों के लक्षण के आधार पर किसी व्यक्ति के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है। नेत्रों से संबंधित कुछ लक्षण शास्त्रों में इस प्रकार बताये गये हैं।
- जो स्त्रियां नीचे की ओर नेत्र कर चलती हैं तथा जो पुरुष ऊपर की ओर नेत्र करके चलते हैं वे प्रायः अंतर्मुखी होते हैं।
- जहां बड़ी आखें अच्छे इंसान की द्योतक हैं, वहीं छोटी, संकुचित आंखों पर शनि ग्रह का प्रभाव माना गया है। जानकारों के अनुसार वे गहन विचार वाले तो हो सकते हैं परंतु शंकालु, अविश्वासी, आलसी और कंजूस होने से कोई रोक नहीं सकता।
- सुंदर, श्वेत तथा बड़ी आंखें अंदर के व्यक्तित्व का अहसास कराती हैं।
- आंखे चुराने वाला संदिग्ध का प्रतीक होता है।
- अंदर धंसी हुई आंखे, अव्यवस्थित चित्त, बाघ जैसी आंखे प्रभावी व्यक्तित्व, भेड़ जैसी आंखे अव्यवस्थित होने का संकेत देती हैं।
- घोड़े वाली आंखे स्त्रियों के लिए रोगकारक, सर्प की आंख उदंडता का संकेत देती हैं।
- बंदर, बिल्ली, भालू, इस रंग की आंखे क्रमशः अस्थिरता, रहस्यमय एवं निर्दयता का सूचक हैं।
- मुर्गे जैसी आंखे साहस, मछली जैसी आंखे अस्थिरता तथा आलस्यपन, काली आंखे उदारता तथा नीले रंग की आंखे बुद्धिमत्ता तथा विचारवान होने का संकेत देती हैं।
- जिन आंखों का कोना नीचे दबा हुआ हो वे निरुत्साही जीवन तथा उदासीनता का प्रतीक हैं।
ग्रह और नेत्र
वस्तुतः सूर्य, मंगल और शनि के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति नेत्रहीन हो सकता है, वहीं सूर्य एवं मंगल के अशुभ प्रभावों से दर्शनीयता कम होती है। गुरु के प्रभाव से आंखे अच्छी तथा अशुभ प्रभाव से आंखों का तेज कम होता है। शनि किसी भी व्यक्ति के नेत्रों को गहरा तथा व्यक्तित्व को उदास, एकान्तप्रिय बनाता है। सूर्य व्यक्ति की आंखे बादाम की आकार की देता है। ये आंखे उसके प्रभावशाली व्यक्तित्व का बोध कराती हैं। बुध आंखों को आकर्षक बनाता है। अनेक प्रकार के व्यक्तित्वों को जन्म देता है। मंगल से प्रभावित व्यक्ति की आंखे काली या भूरे रंग की होती हैं। मंगल के अशुभ प्रभाव से ग्रस्त व्यक्ति की आंखे हमेशा लाल रहती हैं। शुक्र प्रधान व्यक्ति की आंखे उसे व्यक्तित्व प्रदान करती हैं।